भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) खाताधारकों के लिए कुछ नए नियम जारी किए हैं, जो 1 मार्च 2025 से प्रभावी होंगे। इन नियमों का उद्देश्य जमाकर्ताओं की सुविधा बढ़ाना, वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना और FD से जुड़े नियमों को सरल बनाना है। ये बदलाव मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFCs) के लिए हैं, लेकिन इनका असर सभी FD निवेशकों पर पड़ेगा।
इन नए नियमों में समय से पहले निकासी, परिपक्वता सूचना, नामांकन सुविधा और FD बीमा जैसे महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं। इसलिए, यदि आप FD में निवेश करने की योजना बना रहे हैं या पहले से ही FD खाताधारक हैं, तो इन नए नियमों के बारे में जानना आपके लिए आवश्यक है। यह लेख आपको इन सभी नए नियमों की विस्तृत जानकारी देगा, ताकि आप अपने निवेश का बेहतर प्रबंधन कर सकें।
फिक्स्ड डिपॉजिट के नए नियम: एक नजर
विशेषता | नया नियम | जमाकर्ताओं पर प्रभाव |
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समय से पहले निकासी (₹10,000 से कम FD) | 3 महीने के भीतर निकासी की अनुमति, ब्याज नहीं मिलेगा | छोटे जमाकर्ताओं के लिए तत्काल नकदी की उपलब्धता |
गंभीर बीमारी में निकासी | मेडिकल इमरजेंसी में पूरी रकम निकालने की अनुमति, ब्याज नहीं मिलेगा | आपातकालीन स्थिति में वित्तीय बोझ कम होगा |
बड़ी FD निकासी (₹10,000 से ऊपर) | 3 महीने के अंदर ₹5 लाख तक 50% राशि निकालने की अनुमति, ब्याज नहीं मिलेगा | आपातकालीन स्थिति में धन तक बेहतर पहुंच |
परिपक्वता सूचना | NBFC को परिपक्वता से 14 दिन पहले सूचना देनी होगी (पहले 2 महीने) | पुनर्निवेश निर्णयों के लिए बेहतर योजना |
अनिवार्य नामांकन | सभी खातों में नॉमिनी होना अनिवार्य | उत्तराधिकारियों को धन का सुगम हस्तांतरण |
वैकल्पिक FD बीमा | बैंक वैकल्पिक FD बीमा योजनाएं पेश करने के लिए प्रोत्साहित | बैंक विफलता या संकट की स्थिति में अतिरिक्त वित्तीय सुरक्षा |
1. छोटी जमा राशि की निकासी (Small Deposits Withdrawal)
RBI के नए नियमों के अनुसार, ₹10,000 से कम की FD को जमा करने के तीन महीने के भीतर निकाला जा सकता है। हालांकि, इस स्थिति में जमाकर्ता को कोई ब्याज नहीं मिलेगा. यह नियम उन लोगों के लिए उपयोगी है जिन्हें अचानक धन की आवश्यकता होती है और उनके पास छोटी राशि की FD है.
2. गंभीर बीमारी में निकासी (Critical Illness)
यदि किसी FD खाताधारक को कोई गंभीर बीमारी हो जाती है, तो वह अपनी FD की पूरी राशि निकाल सकता है। इस स्थिति में भी, यदि निकासी जमा करने के तीन महीने के भीतर की जाती है, तो कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा. यह नियम व्यक्तिगत जमा पर ही लागू होता है. इसका उद्देश्य मेडिकल इमरजेंसी के दौरान वित्तीय बोझ को कम करना है.
3. बड़ी FD निकासी (Large FD Withdrawals)
₹10,000 से अधिक की FD के लिए, जमाकर्ता जमा राशि का 50% तक, अधिकतम ₹5 लाख तक, जमा करने की तारीख से तीन महीने के भीतर निकाल सकते हैं. इस निकासी पर भी कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा। यह नियम उन लोगों के लिए उपयोगी है जिन्हें बड़ी राशि की आवश्यकता होती है लेकिन वे पूरी FD को तोड़ना नहीं चाहते हैं.
4. परिपक्वता सूचना (Maturity Notification)
नए नियमों के अनुसार, NBFC को FD की परिपक्वता तिथि से कम से कम 14 दिन पहले जमाकर्ता को सूचित करना होगा. पहले, यह समय सीमा 2 महीने थी. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जमाकर्ताओं को अपनी FD को नवीनीकृत करने, निकालने या पुनर्निवेश करने की योजना बनाने के लिए पर्याप्त समय मिले.
5. अनिवार्य नामांकन सुविधा (Mandatory Nomination Facility)
RBI ने सभी बैंकों और NBFC को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि FD खातों में नॉमिनी हो. यदि खाताधारक की मृत्यु हो जाती है, तो नॉमिनी को धन का हस्तांतरण सुचारू रूप से हो सके और कानूनी विवादों से बचा जा सके, इसलिए यह नियम महत्वपूर्ण है.
6. वैकल्पिक FD बीमा (Optional FD Insurance)
RBI बैंकों को वैकल्पिक FD बीमा योजनाएं पेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, जैसे कि डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) कवरेज. DICGC वर्तमान में बैंक जमा पर ₹5 लाख तक का बीमा प्रदान करता है. इस कदम से जमाकर्ताओं को अपनी FD पर अतिरिक्त सुरक्षा मिलेगी, खासकर उन लोगों को जो ₹5 लाख से अधिक की राशि जमा करते हैं. बैंक विफलता या संकट की स्थिति में यह बीमा जमाकर्ताओं को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगा.
फिक्स्ड डिपॉजिट पर टैक्स निहितार्थ (Tax Implications on Fixed Deposits)
FD पर अर्जित ब्याज कर योग्य होता है, और यह व्यक्तिगत आयकर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है. यदि ब्याज आय ₹40,000 से अधिक है, तो बैंक टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) काटते हैं. वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा ₹50,000 है.
सेक्शन 80C के तहत कर लाभ
निवेशक टैक्स सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करके सेक्शन 80C के तहत कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि, इन FD में 5 साल की लॉक-इन अवधि होती है, जिसका मतलब है कि आप परिपक्वता अवधि से पहले पैसे नहीं निकाल सकते.
निष्कर्ष
RBI के ये नए नियम FD निवेशकों के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आए हैं. इन नियमों का उद्देश्य FD को और अधिक सुलभ, सुरक्षित और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाना है. इसलिए, सभी FD खाताधारकों को इन नए नियमों के बारे में जानकारी होनी चाहिए ताकि वे अपने निवेश का बेहतर प्रबंधन कर सकें.
Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। फिक्स्ड डिपॉजिट से संबंधित नियम और प्रक्रियाएं समय-समय पर बदल सकती हैं। इसलिए, कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले संबंधित वित्तीय संस्थान या RBI की आधिकारिक वेबसाइट से नवीनतम जानकारी प्राप्त करें।