केदारनाथ धाम, जो भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। लेकिन यहां तक पहुंचने का सफर अब तक काफी कठिन और समय लेने वाला था। इस समस्या को हल करने के लिए केंद्र सरकार ने केदारनाथ रोपवे परियोजना को मंजूरी दे दी है। यह परियोजना न केवल यात्रा को आसान बनाएगी बल्कि तीर्थयात्रा के अनुभव को भी बेहतर बनाएगी।
इस रोपवे की कुल लंबाई 12.9 किलोमीटर होगी और यह सोनप्रयाग से केदारनाथ तक फैला होगा। इसका निर्माण ₹4081 करोड़ की लागत से किया जाएगा। यह रोपवे यात्रा का समय 8-9 घंटे से घटाकर केवल 36 मिनट कर देगा। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल तीर्थयात्रियों की सुविधा बढ़ाना है, बल्कि स्थानीय पर्यटन और रोजगार को भी बढ़ावा देना है।
केदारनाथ रोपवे परियोजना 2025
विवरण | जानकारी |
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परियोजना का नाम | केदारनाथ रोपवे परियोजना |
लंबाई | 12.9 किलोमीटर |
कुल लागत | ₹4081 करोड़ |
स्थान | सोनप्रयाग से केदारनाथ |
यात्रा का समय | 36 मिनट (पहले 8-9 घंटे) |
तकनीक | Tri-Cable Detachable Gondola (3S) |
यात्रियों की क्षमता | प्रति दिन 18,000 यात्री |
संचालन मोड | Design, Build, Finance, Operate and Transfer (DBFOT) |
केदारनाथ रोपवे परियोजना क्या है?
केदारनाथ रोपवे परियोजना एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसे केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है। यह परियोजना राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम (Parvatmala Pariyojana) के तहत विकसित की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य तीर्थयात्रियों को तेज, सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल यात्रा प्रदान करना है।
यह रोपवे अत्याधुनिक Tri-Cable Detachable Gondola (3S) तकनीक पर आधारित होगा, जो इसे मजबूत और कुशल बनाएगा। इस तकनीक से यात्रियों को आरामदायक सफर का अनुभव मिलेगा।
परियोजना की विशेषताएं
- तेज और सुरक्षित यात्रा: यह यात्रा केवल 36 मिनट में पूरी होगी।
- उच्च यात्री क्षमता: प्रति घंटे 1800 यात्री और प्रति दिन 18,000 यात्री इस रोपवे का उपयोग कर सकेंगे।
- पर्यावरण-अनुकूल तकनीक: यह परियोजना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना विकसित की जाएगी।
- सभी मौसम में संचालन: यह रोपवे पूरे साल चालू रहेगा, जिससे तीर्थयात्रा निर्बाध होगी।
- स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: इस परियोजना से स्थानीय व्यापार और रोजगार में वृद्धि होगी।
वर्तमान यात्रा बनाम रोपवे यात्रा
मापदंड | वर्तमान यात्रा (ट्रेक) | रोपवे यात्रा |
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दूरी | 16 किलोमीटर | 12.9 किलोमीटर |
समय | 8-9 घंटे | 36 मिनट |
माध्यम | पैदल, खच्चर, पालकी | गोंडोला |
सुविधा | सीमित | आरामदायक |
तीर्थयात्रियों के लिए लाभ
- समय की बचत: पहले जहां यात्रा में पूरा दिन लग जाता था, अब इसे केवल आधे घंटे में पूरा किया जा सकेगा।
- बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए सहूलियत: यह रोपवे बुजुर्गों और दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगा।
- सुरक्षित विकल्प: खराब मौसम और कठिन ट्रेकिंग मार्गों से बचने का विकल्प मिलेगा।
- पर्यटन को बढ़ावा: तीर्थयात्रा आसान होने से अधिक लोग यहां आने के लिए प्रेरित होंगे।
निर्माण और संचालन
यह परियोजना सार्वजनिक-निजी साझेदारी (Public-Private Partnership) मॉडल पर आधारित होगी। इसे “Design, Build, Finance, Operate and Transfer (DBFOT)” मोड पर विकसित किया जाएगा। निर्माण कार्य राष्ट्रीय राजमार्ग लॉजिस्टिक्स प्रबंधन (National Highway Logistics Management) द्वारा किया जाएगा।
आर्थिक प्रभाव
- रोजगार सृजन: निर्माण और संचालन चरणों में हजारों नौकरियां पैदा होंगी।
- स्थानीय व्यापार को बढ़ावा: होटल, रेस्टोरेंट और अन्य पर्यटन सेवाओं में वृद्धि होगी।
- राजस्व उत्पन्न करना: सरकार और निजी कंपनियों दोनों के लिए आय का स्रोत बनेगा।
पर्यावरणीय प्रभाव
यह परियोजना पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों का उपयोग करेगी ताकि प्राकृतिक संसाधनों पर कम से कम प्रभाव पड़े। इसके अलावा, ट्रेकिंग मार्गों पर खच्चरों और पालकियों पर निर्भरता कम होगी, जिससे वन्यजीवन और पर्यावरण को लाभ होगा।
भविष्य की संभावनाएं
केदारनाथ रोपवे परियोजना न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे भारत में अन्य धार्मिक स्थलों के लिए एक मिसाल बनेगी। इससे प्रेरित होकर अन्य कठिन पहाड़ी क्षेत्रों में भी इसी तरह की योजनाएं शुरू की जा सकती हैं।
निष्कर्ष
केदारनाथ रोपवे परियोजना एक क्रांतिकारी कदम है जो न केवल तीर्थयात्रियों की सुविधा बढ़ाएगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह परियोजना भारत सरकार की दूरदर्शिता और आधुनिक तकनीकों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। कृपया नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों की जांच करें। लेखक किसी भी प्रकार की त्रुटि या परिवर्तन के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।