बिहार भूमि सर्वे में बड़ा हड़कंप! नए आदेश से हजारों किसानों की निजी जमीन हुई सरकारी घोषित Bihar Land Survey news

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Bihar Land Survey news: बिहार में चल रहे भूमि सर्वे को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। सरकार के नए आदेश से हजारों किसानों की निजी जमीन को सरकारी घोषित कर दिया गया है। इससे किसानों में भारी रोष है और वे अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह मामला राज्य भर में चर्चा का विषय बन गया है।

भूमि सर्वे का मुख्य उद्देश्य राज्य के सभी जिलों में जमीन के रिकॉर्ड को अपडेट करना और डिजिटल बनाना था। लेकिन इस प्रक्रिया में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई हैं। कई जगहों पर पुराने रिकॉर्ड में दर्ज निजी जमीन को सरकारी बता दिया गया है। इससे किसानों को अपनी पुश्तैनी जमीन खोने का डर सता रहा है।

बिहार भूमि सर्वे क्या है?

बिहार भूमि सर्वे एक बड़ा प्रोजेक्ट है जिसके तहत राज्य की सभी जमीनों का नया सर्वेक्षण किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य है:

  • जमीन के पुराने रिकॉर्ड को अपडेट करना
  • सभी जमीनों का डिजिटल मैपिंग करना
  • जमीन विवादों को कम करना
  • राजस्व प्रशासन में सुधार लाना

यह सर्वे 114 साल बाद किया जा रहा है। इससे पहले 1910 में ऐसा सर्वे हुआ था।

नए आदेश से क्या हुआ विवाद?

हाल ही में राज्य सरकार ने एक नया आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि:

  • जिन जमीनों के मालिकों के पास वैध दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें सरकारी जमीन माना जाएगा
  • पुराने रिकॉर्ड में दर्ज कई निजी जमीनों को भी सरकारी संपत्ति घोषित किया गया
  • ऐसी जमीनों पर किसानों का दावा खारिज कर दिया जाएगा

इस आदेश से हजारों किसान प्रभावित हुए हैं। कई लोगों की पुश्तैनी जमीन भी सरकारी बता दी गई है।

किसानों पर क्या पड़ा असर?

इस नए आदेश से किसानों पर गंभीर असर पड़ा है:

  • कई किसानों की पीढ़ियों से चली आ रही जमीन छिन गई है
  • लोगों को अपनी जमीन का मालिकाना हक खोने का डर है
  • किसानों की आजीविका पर संकट आ गया है
  • लोगों में सरकार के खिलाफ रोष और आक्रोश बढ़ा है
  • कई जगह विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं

सरकार का क्या कहना है?

सरकार का कहना है कि:

  • यह आदेश अवैध कब्जों को हटाने के लिए जरूरी था
  • इससे सरकारी जमीन की रक्षा होगी
  • वास्तविक मालिकों के हितों का ध्यान रखा जाएगा
  • किसी भी वैध मालिक की जमीन नहीं छीनी जाएगी
  • शिकायतों का निष्पक्ष निपटारा किया जाएगा

किसान क्या मांग कर रहे हैं?

प्रभावित किसानों की प्रमुख मांगें हैं:

  • इस आदेश को तुरंत वापस लिया जाए
  • पुराने रिकॉर्ड के आधार पर जमीन का मालिकाना हक दिया जाए
  • जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें समय दिया जाए
  • किसानों की शिकायतों का त्वरित निपटारा हो
  • भूमि सर्वे में पारदर्शिता लाई जाए

विपक्ष का क्या रुख है?

विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है। उनका कहना है:

  • यह आदेश किसान विरोधी है
  • सरकार जबरन जमीन हड़पने की कोशिश कर रही है
  • इससे लाखों किसान बेघर हो जाएंगे
  • यह गरीब किसानों के खिलाफ साजिश है
  • सरकार को तुरंत इस आदेश को वापस लेना चाहिए

भूमि सर्वे में क्या हैं अन्य समस्याएं?

भूमि सर्वे में कई अन्य समस्याएं भी सामने आई हैं:

  • कई जगह गलत मापन की शिकायतें हैं
  • पुराने रिकॉर्ड से मेल नहीं खा रहे नए आंकड़े
  • भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोप
  • कई जगह विवाद और झगड़े हो रहे हैं
  • लोगों को दस्तावेज जुटाने में दिक्कत
  • ऑनलाइन प्रक्रिया से अनभिज्ञ लोग परेशान

सरकार ने क्या किए सुधार के उपाय?

किसानों की शिकायतों के बाद सरकार ने कुछ सुधार के उपाय किए हैं:

  • शिकायत निवारण के लिए विशेष कैंप लगाए गए
  • दस्तावेज जमा करने की समय सीमा बढ़ाई गई
  • ऑनलाइन पोर्टल को और सरल बनाया गया
  • गलतियों के सुधार के लिए विशेष अभियान
  • प्रभावित लोगों की सुनवाई के निर्देश
  • पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नए नियम

भूमि सर्वे का क्या है महत्व?

इन विवादों के बावजूद भूमि सर्वे का महत्व कम नहीं हुआ है। इसके कई फायदे हैं:

  • जमीन विवाद कम होंगे
  • राजस्व प्रशासन में सुधार होगा
  • किसानों को बैंक लोन आसानी से मिलेगा
  • अवैध कब्जे हटेंगे
  • सटीक भूमि रिकॉर्ड तैयार होंगे
  • विकास योजनाओं में मदद मिलेगी

आगे क्या होगा?

अब सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं:

  • किसानों का विश्वास जीतना
  • विवादों का निपटारा करना
  • सर्वे को समय पर पूरा करना
  • पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना
  • तकनीकी खामियों को दूर करना
  • भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना

निष्कर्ष

बिहार भूमि सर्वे एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है जो राज्य के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन इसमें आ रही समस्याओं का समाधान करना होगा। सरकार और किसानों को मिलकर इस मुद्दे का हल निकालना चाहिए। तभी इस सर्वे का वास्तविक लाभ मिल पाएगा।

अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों से ली गई है। हालांकि इसकी सटीकता सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है, फिर भी कुछ तथ्य पुराने या गलत हो सकते हैं। पाठकों से अनुरोध है कि वे किसी भी कार्रवाई से पहले सरकारी वेबसाइट या अधिकृत स्रोतों से ताजा और सही जानकारी प्राप्त कर लें। लेखक या वेबसाइट किसी भी गलती या नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।

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