Bihar में Land Survey जारी, पेपर नहीं तो जल्दी करो ये काम, नहीं तो छीन ली जाएगी जमीन

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Bihar Land Survey: बिहार सरकार ने राज्य में व्यापक भूमि सर्वेक्षण शुरू किया है। यह सर्वेक्षण राज्य के सभी 38 जिलों में चल रहा है और इसका उद्देश्य जमीन के रिकॉर्ड को अपडेट करना और डिजिटल बनाना है। यह कदम जमीन से जुड़े विवादों को कम करने और भूमि प्रशासन को पारदर्शी बनाने के लिए उठाया गया है।

इस सर्वेक्षण में भाग लेना सभी जमीन मालिकों के लिए अनिवार्य है। अगर कोई व्यक्ति इस प्रक्रिया में शामिल नहीं होता है, तो उसकी जमीन पर उसका अधिकार खतरे में पड़ सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि सभी लोग इस सर्वेक्षण में सक्रिय रूप से भाग लें और अपने जमीन के दस्तावेज सही समय पर जमा करें।

बिहार भूमि सर्वेक्षण क्या है?

बिहार भूमि सर्वेक्षण एक व्यापक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य राज्य में सभी जमीनों का सही और अद्यतन रिकॉर्ड तैयार करना है। इस सर्वेक्षण में निम्नलिखित गतिविधियां शामिल हैं:

  • जमीन की सही माप और सीमांकन
  • मालिकों और उनके अधिकारों का सत्यापन
  • भूमि उपयोग का वर्गीकरण
  • डिजिटल मानचित्र और रिकॉर्ड तैयार करना

यह सर्वेक्षण 50 साल बाद किया जा रहा है और इससे जमीन से जुड़े कई पुराने विवादों का समाधान होने की उम्मीद है।

बिहार भूमि सर्वेक्षण की मुख्य जानकारी

विवरणजानकारी
शुरुआतजुलाई 2023
समाप्ति की लक्षित तिथिजुलाई 2025
कवर किए जाने वाले जिलेसभी 38 जिले
कुल राजस्व गांवलगभग 45,000
कार्यान्वयन एजेंसीराजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार
तकनीकी सहायताभारतीय सर्वेक्षण विभाग
अनुमानित लागत800 करोड़ रुपये
मुख्य उद्देश्यभूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण

भूमि सर्वेक्षण में भाग लेने की प्रक्रिया

भूमि सर्वेक्षण में भाग लेने के लिए जमीन मालिकों को निम्नलिखित कदम उठाने होंगे:

  1. अपने क्षेत्र में चल रहे सर्वेक्षण के बारे में जानकारी प्राप्त करें
  2. स्थानीय राजस्व कार्यालय या सर्वेक्षण शिविर में जाएं
  3. आवश्यक दस्तावेज जमा करें (जैसे जमीन के कागजात, पहचान प्रमाण आदि)
  4. सर्वेक्षण टीम को अपनी जमीन दिखाएं और सीमाओं की पुष्टि करें
  5. सर्वेक्षण के बाद तैयार किए गए रिकॉर्ड की जांच करें और गलतियां होने पर सुधार कराएं

जमा करने वाले जरूरी दस्तावेज

सर्वेक्षण में भाग लेने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होंगे:

  • जमीन के मालिकाना हक के कागजात (जैसे रजिस्ट्री, बैनामा आदि)
  • खतियान या जमाबंदी की प्रति
  • आधार कार्ड
  • पैन कार्ड
  • फोटो पहचान पत्र
  • वंशावली या उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (यदि जमीन विरासत में मिली हो)
  • पिछले भुगतान किए गए मालगुजारी की रसीद

भूमि सर्वेक्षण से होने वाले फायदे

इस व्यापक भूमि सर्वेक्षण से कई फायदे होने की उम्मीद है:

  1. जमीनी विवादों में कमी: सही और अद्यतन रिकॉर्ड से जमीन से जुड़े झगड़े कम होंगे।
  2. पारदर्शिता: डिजिटल रिकॉर्ड से जमीन की जानकारी आसानी से उपलब्ध होगी।
  3. सरकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन: सही भूमि रिकॉर्ड से किसानों और अन्य लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा।
  4. निवेश को बढ़ावा: स्पष्ट भूमि रिकॉर्ड से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा।
  5. राजस्व में वृद्धि: सही रिकॉर्ड से सरकार को भूमि कर का बेहतर संग्रह हो सकेगा।
  6. भूमि बाजार में सुधार: पारदर्शी रिकॉर्ड से जमीन की खरीद-बिक्री आसान होगी।

भूमि सर्वेक्षण में शामिल न होने के नुकसान

अगर कोई जमीन मालिक इस सर्वेक्षण में भाग नहीं लेता है, तो उसे निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:

  • जमीन पर अधिकार खो सकता है
  • भविष्य में जमीन बेचने या गिरवी रखने में दिक्कत हो सकती है
  • सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकता
  • जमीन से जुड़े विवादों में कानूनी समस्याएं हो सकती हैं
  • जमीन को सरकारी या बंजर भूमि घोषित किया जा सकता है

सर्वेक्षण के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

  1. समय पर भागीदारी: अपने क्षेत्र में सर्वेक्षण शुरू होते ही भाग लें।
  2. सही दस्तावेज: सभी जरूरी कागजात एकत्र करके रखें।
  3. सीमा निर्धारण: अपनी जमीन की सीमाओं को स्पष्ट रूप से दिखाएं।
  4. पड़ोसियों से समन्वय: सीमा विवाद से बचने के लिए पड़ोसियों से बात करें।
  5. रिकॉर्ड की जांच: सर्वेक्षण के बाद तैयार किए गए रिकॉर्ड को ध्यान से जांचें।
  6. शिकायत निवारण: कोई गलती हो तो तुरंत अधिकारियों को बताएं।

बिहार भूमि सर्वेक्षण की चुनौतियां

इस बड़े पैमाने पर होने वाले सर्वेक्षण में कुछ चुनौतियां भी हैं:

  • बड़ी संख्या में प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता
  • ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी संसाधनों की कमी
  • पुराने रिकॉर्ड के साथ मेल-मिलाप की समस्या
  • कुछ क्षेत्रों में भू-माफिया का विरोध
  • जटिल वंशावली और विरासत के मामले
  • कुछ लोगों द्वारा गलत जानकारी देने की संभावना

सर्वेक्षण के लिए उपयोग की जा रही तकनीक

बिहार भूमि सर्वेक्षण में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है:

  • जीपीएस और टोटल स्टेशन: सटीक माप के लिए
  • ड्रोन: हवाई सर्वेक्षण और मानचित्रण के लिए
  • जीआईएस सॉफ्टवेयर: डिजिटल मैपिंग के लिए
  • बायोमेट्रिक सिस्टम: मालिकों के सत्यापन के लिए
  • क्लाउड स्टोरेज: डेटा के सुरक्षित भंडारण के लिए
  • मोबाइल ऐप: फील्ड डेटा संग्रह के लिए

सर्वेक्षण के बाद क्या होगा?

सर्वेक्षण पूरा होने के बाद निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे:

  1. डिजिटल रिकॉर्ड: सभी भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल फॉर्मेट में बदला जाएगा।
  2. ऑनलाइन पोर्टल: एक वेब पोर्टल लॉन्च किया जाएगा जहां लोग अपनी जमीन की जानकारी देख सकेंगे।
  3. नए दस्तावेज: जमीन मालिकों को अपडेटेड दस्तावेज दिए जाएंगे।
  4. विवाद समाधान: बचे हुए भूमि विवादों को सुलझाने के लिए विशेष अदालतें लगाई जाएंगी।
  5. नीति निर्माण: नए भूमि रिकॉर्ड के आधार पर भूमि सुधार नीतियां बनाई जाएंगी।
  6. योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन: सही डेटा के आधार पर सरकारी योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जाएगा।

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