Aaganwadi Sevika Salary Hike: आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सेविका हमारे समाज के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। वे गरीब बच्चों और महिलाओं की देखभाल करते हैं और उन्हें स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएं प्रदान करते हैं। लेकिन लंबे समय से इन कर्मचारियों को उचित वेतन और लाभ नहीं मिल रहे थे। अब इस स्थिति में बदलाव आया है।
हाल ही में गुजरात हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि आंगनबाड़ी कर्मचारियों को अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह ही वेतन और लाभ मिलने चाहिए। यह फैसला आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सेविकाओं के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है।
इस लेख में हम इस महत्वपूर्ण फैसले के बारे में विस्तार से जानेंगे। हम देखेंगे कि यह फैसला क्या है, इसका क्या असर होगा और आंगनबाड़ी कर्मचारियों को इससे क्या फायदा होगा।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सेविका कौन हैं?
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सेविका भारत सरकार की एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना के तहत काम करते हैं। वे गांवों और शहरी गरीब इलाकों में आंगनबाड़ी केंद्र चलाते हैं। इन केंद्रों पर वे निम्न सेवाएं प्रदान करते हैं:
- 6 साल तक के बच्चों को पोषण और प्री-स्कूल शिक्षा
- गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं
- बच्चों का टीकाकरण
- बच्चों और महिलाओं का स्वास्थ्य जांच
- पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पूरे केंद्र का संचालन करती हैं, जबकि सेविका उनकी मदद करती हैं। ये कर्मचारी समाज के सबसे कमजोर वर्गों की सेवा करते हैं।
गुजरात हाई कोर्ट का फैसला
गुजरात हाई कोर्ट ने 30 अक्टूबर 2024 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सेविकाओं को नियमित सरकारी कर्मचारियों की तरह ही व्यवहार मिलना चाहिए। फैसले की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
फैसले के मुख्य बिंदु | विवरण |
समान व्यवहार | आंगनबाड़ी कर्मचारियों को नियमित सरकारी कर्मचारियों की तरह मानना |
वेतन में बढ़ोतरी | न्यूनतम वेतनमान 15,000 रुपये प्रति माह |
नियमितीकरण | 6 महीने में नीति बनाकर नियमित करना |
अन्य लाभ | पेंशन, ग्रेच्युटी जैसे लाभ देना |
बकाया राशि | पिछले समय का बकाया वेतन देना |
समय सीमा | 6 महीने में नई नीति लागू करना |
यह फैसला आंगनबाड़ी कर्मचारियों के लिए बहुत बड़ी जीत है। अब उन्हें बेहतर वेतन और सुविधाएं मिलेंगी।
फैसले का कारण
कोर्ट ने यह फैसला कई कारणों से दिया:
- आंगनबाड़ी कर्मचारी रोज 6 घंटे से ज्यादा काम करते हैं
- उन्हें नियमित प्रक्रिया से भर्ती किया जाता है
- वे सरकारी योजना के तहत काम करते हैं
- उनका काम बहुत महत्वपूर्ण है
- फिर भी उन्हें बहुत कम मानदेय मिलता है
कोर्ट ने कहा कि यह अनुचित है कि इतना महत्वपूर्ण काम करने वाले लोगों को इतना कम वेतन मिले। इसलिए उन्हें अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह वेतन और लाभ मिलने चाहिए।
वर्तमान स्थिति
वर्तमान में आंगनबाड़ी कर्मचारियों को बहुत कम मानदेय मिलता है:
- कार्यकर्ता: 10,000 रुपये प्रति माह
- सेविका: 5,000 रुपये प्रति माह
यह राशि न्यूनतम वेतन से भी कम है। इसके अलावा उन्हें कोई अन्य लाभ नहीं मिलते। जबकि वे रोज 6-8 घंटे काम करते हैं और बहुत महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करते हैं।
फैसले का असर
इस फैसले का आंगनबाड़ी कर्मचारियों पर बहुत सकारात्मक असर होगा:
- वेतन में बढ़ोतरी: उन्हें कम से कम 15,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे
- नियमितीकरण: वे नियमित सरकारी कर्मचारी बन जाएंगे
- अन्य लाभ: उन्हें पेंशन, ग्रेच्युटी जैसे लाभ मिलेंगे
- सामाजिक सुरक्षा: उनके भविष्य की सुरक्षा होगी
- सम्मान: समाज में उनका सम्मान बढ़ेगा
- प्रेरणा: वे और बेहतर काम करने के लिए प्रेरित होंगे
इससे न केवल कर्मचारियों को फायदा होगा, बल्कि ICDS योजना भी बेहतर तरीके से लागू हो सकेगी।
सरकार को निर्देश
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निम्न निर्देश दिए हैं:
- 6 महीने में नई नीति बनाना
- आंगनबाड़ी कर्मचारियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू करना
- उनके वेतन और लाभों का निर्धारण करना
- पिछले समय का बकाया वेतन देने की व्यवस्था करना
- नई नीति को तुरंत लागू करना
सरकार को इन निर्देशों का पालन करना होगा और जल्द से जल्द नई नीति लागू करनी होगी।
आंगनबाड़ी कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
इस फैसले पर आंगनबाड़ी कर्मचारियों ने बहुत खुशी जताई है। उनका कहना है:
- “हमें लंबे समय से न्याय की उम्मीद थी”
- “अब हमारी आर्थिक स्थिति सुधरेगी”
- “हमें अपने काम का उचित सम्मान मिलेगा”
- “हम और बेहतर तरीके से काम कर पाएंगे”
- “हमारे परिवार की जिंदगी बदल जाएगी”
कर्मचारियों को उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इस फैसले को लागू करेगी।
भविष्य की संभावनाएं
इस फैसले से आंगनबाड़ी कार्यक्रम के भविष्य पर सकारात्मक असर पड़ेगा:
- कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा
- सेवाओं की गुणवत्ता सुधरेगी
- बच्चों और महिलाओं को बेहतर सेवाएं मिलेंगी
- कुपोषण और बाल मृत्यु दर में कमी आएगी
- महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा
- ग्रामीण विकास में मदद मिलेगी
यह फैसला न केवल कर्मचारियों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए फायदेमंद साबित होगा।
डिस्क्लेमर: यह लेख गुजरात हाई कोर्ट के फैसले पर आधारित है। हालांकि फैसला सही है, लेकिन इसे लागू करने में समय लग सकता है। सरकार को अभी इस पर नीति बनानी है और उसे लागू करना है। इसलिए आंगनबाड़ी कर्मचारियों को धैर्य रखना होगा। उन्हें अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से लड़ते रहना चाहिए। यह एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन अंत में उन्हें न्याय मिलेगा।