Labour Minimum Wages 2024: केंद्र सरकार ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लेते हुए देश भर के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी दर में बढ़ोतरी की घोषणा की है। यह फैसला श्रमिकों, खासकर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए लिया गया है। सरकार ने परिवर्तनशील महंगाई भत्ते (VDA) में संशोधन करके न्यूनतम मजदूरी दर को बढ़ाया है।
इस नए फैसले के तहत, अत्यधिक कुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन दर 1,035 रुपये प्रति दिन यानी 26,910 रुपये प्रति माह तक पहुंच गई है। यह नई दरें 1 अक्टूबर, 2024 से लागू होंगी। इस कदम से निर्माण, सफाई, लोडिंग-अनलोडिंग, सुरक्षा और कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले लाखों मजदूरों को फायदा होगा।
न्यूनतम मजदूरी दर में बढ़ोतरी: एक नजर में
विवरण | जानकारी |
लागू होने की तारीख | 1 अक्टूबर, 2024 |
अधिकतम दैनिक मजदूरी | 1,035 रुपये |
अधिकतम मासिक मजदूरी | 26,910 रुपये |
लाभार्थी | निर्माण, सफाई, लोडिंग-अनलोडिंग, सुरक्षा, कृषि आदि क्षेत्रों के श्रमिक |
क्षेत्र वर्गीकरण | A, B और C |
कौशल स्तर | अकुशल, अर्ध-कुशल, कुशल और अत्यधिक कुशल |
पिछला संशोधन | अप्रैल, 2024 |
संशोधन की आवृत्ति | साल में दो बार (अप्रैल और अक्टूबर) |
न्यूनतम मजदूरी दर में बढ़ोतरी का उद्देश्य
केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी दर में की गई इस बढ़ोतरी का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है:
- श्रमिकों को बढ़ती महंगाई से राहत देना
- असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना
- श्रमिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना
- मजदूरों की क्रय शक्ति को बढ़ाना
- श्रम बाजार में न्यूनतम मानक स्थापित करना
विभिन्न श्रेणियों के लिए नई न्यूनतम मजदूरी दरें
सरकार ने विभिन्न कौशल स्तरों और भौगोलिक क्षेत्रों के आधार पर अलग-अलग न्यूनतम मजदूरी दरें तय की हैं। क्षेत्र ‘A’ के लिए नई दरें इस प्रकार हैं:
- अकुशल श्रमिक: 783 रुपये प्रति दिन (20,358 रुपये प्रति माह)
- अर्ध-कुशल श्रमिक: 868 रुपये प्रति दिन (22,568 रुपये प्रति माह)
- कुशल श्रमिक: 954 रुपये प्रति दिन (24,804 रुपये प्रति माह)
- अत्यधिक कुशल श्रमिक: 1,035 रुपये प्रति दिन (26,910 रुपये प्रति माह)
भौगोलिक क्षेत्रों का वर्गीकरण
न्यूनतम मजदूरी दरों को तीन भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा गया है:
- क्षेत्र A: बड़े महानगर और औद्योगिक शहर
- क्षेत्र B: मध्यम आकार के शहर और विकासशील क्षेत्र
- क्षेत्र C: अन्य सभी क्षेत्र
हर क्षेत्र के लिए अलग-अलग दरें निर्धारित की गई हैं, जिसमें क्षेत्र A में सबसे अधिक और क्षेत्र C में सबसे कम दरें हैं।
कौशल स्तर के आधार पर वर्गीकरण
श्रमिकों को उनके कौशल स्तर के आधार पर चार श्रेणियों में बांटा गया है:
- अकुशल: सामान्य कार्य जैसे सफाई, लोडिंग-अनलोडिंग आदि
- अर्ध-कुशल: कुछ प्रशिक्षण या अनुभव वाले कार्य
- कुशल: तकनीकी ज्ञान या विशेष कौशल वाले कार्य
- अत्यधिक कुशल: उच्च स्तरीय तकनीकी या प्रबंधकीय कार्य
लाभार्थी क्षेत्र और श्रमिक
इस नई न्यूनतम मजदूरी दर का लाभ निम्नलिखित क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को मिलेगा:
- निर्माण उद्योग
- सफाई और हाउसकीपिंग
- लोडिंग और अनलोडिंग
- सुरक्षा गार्ड (हथियार के साथ और बिना हथियार के)
- खनन
- कृषि
- अन्य असंगठित क्षेत्र
न्यूनतम मजदूरी दर संशोधन की प्रक्रिया
केंद्र सरकार साल में दो बार न्यूनतम मजदूरी दरों में संशोधन करती है:
- 1 अप्रैल: वर्ष का पहला संशोधन
- 1 अक्टूबर: वर्ष का दूसरा संशोधन
यह संशोधन औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में होने वाले बदलाव के आधार पर किया जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि मजदूरी दरें महंगाई के अनुरूप रहें।
न्यूनतम मजदूरी दर बढ़ाने का प्रभाव
इस फैसले से श्रमिकों और अर्थव्यवस्था पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है:
- श्रमिकों की आय में वृद्धि: इससे मजदूरों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और उनका जीवन स्तर सुधरेगा।
- गरीबी उन्मूलन: बढ़ी हुई आय से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को राहत मिलेगी।
- आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा: अधिक आय से उपभोग बढ़ेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
- श्रम बाजार में सुधार: न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि से श्रम बाजार में बेहतर मानक स्थापित होंगे।
- असमानता में कमी: कम आय वाले वर्ग की आय बढ़ने से आय असमानता कम होगी।
सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजनाएं
सरकार ने इन चिंताओं को दूर करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:
- नियमित समीक्षा: मजदूरी दरों की नियमित समीक्षा और संशोधन की व्यवस्था।
- क्षेत्र-विशिष्ट नीतियां: विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों के अनुसार अलग-अलग नीतियां।
- डिजिटल भुगतान को बढ़ावा: मजदूरी भुगतान में पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन।
- जागरूकता अभियान: श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान।
- कठोर कार्यान्वयन: नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की व्यवस्था।
न्यूनतम मजदूरी और श्रम कानून
भारत में न्यूनतम मजदूरी से संबंधित प्रमुख कानून और नियम इस प्रकार हैं:
- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948: यह कानून न्यूनतम मजदूरी तय करने का आधार प्रदान करता है।
- मजदूरी संहिता, 2019: यह नया कानून पुराने श्रम कानूनों को एकीकृत करता है और न्यूनतम मजदूरी के नियमों को और मजबूत बनाता है।
- राष्ट्रीय फ्लोर स्तर न्यूनतम मजदूरी: यह पूरे देश के लिए एक न्यूनतम मजदूरी स्तर निर्धारित करता है।
- राज्य-स्तरीय न्यूनतम मजदूरी: राज्य सरकारें अपने क्षेत्र के लिए अलग से न्यूनतम मजदूरी तय कर सकती हैं।
कब लागू होगा अभी तक किसी भी को पता नहीं है
ये सिर्फ नाम के लिये हैं या फिर इस पर महाराष्ट्र राज्य में जल्द से जल्द कार्यवाही भी होगी ।
होगी तो कब और कैसे होगी इसके विषय में भी आप जानकारी दे।
जी आर भी डालो
Rajsthan sarkar kab lagu karegi